मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि सांदीपनि आश्रम वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद शिक्षा ग्रहण की थी। यही कारण है कि यह स्थल भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। इसके अलावा, नारायण धाम वह पावन भूमि है जहां भगवान कृष्ण और उनके मित्र सुदामा की मुलाकात हुई थी, जो गरीबी और अमीरी की मित्रता का श्रेष्ठ उदाहरण है। धार जिले के पास अमझेरा धाम वह स्थल है जहां भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मिणी हरण के दौरान रुक्मी को युद्ध में पराजित किया था। इसके साथ ही, जानापाव वह स्थान है जहां भगवान ने परशुराम जी से विनम्रता और श्रद्धा के साथ सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व: मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी स्थलों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है, जो भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को जीवंत करते हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी आग्रह किया कि जन्माष्टमी के पावन अवसर पर इन धामों को स्मरण किया जाए और उसके बाद भी इन स्थलों को तीर्थ के रूप में मान्यता दी जाए।
शिक्षा, वीरता और विनम्रता का महत्व: मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि इस इतिहास से हमें सीखना चाहिए कि चाहे व्यक्ति गरीब हो या अमीर, उसे शिक्षा ग्रहण करने, वीरता धारण करने और विनम्रता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। ये स्थल उन मूल्यों को संजोए हुए हैं जो आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं