न नीमच नीम (सुरेश सन्नाटा)
नीमच । (सुरेश सन्नाटा)
हर वर्ष भारत के साथ ही विश्व के विभिन्न देशों में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग दिवस 21 जून को मनाने की खास वजह यह है कि यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध में वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में विश्व समुदाय से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने की अपील की थी. जिसे 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली तथा भारत के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया।
के०रि०पु०बल, नीमच (म०प्र०) के प्रांगण में 11वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस दिनांक 21/06/2025 को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय के संदीप दत्ता, महानिरीक्षक सह प्राचार्य, आशीष भटनागर, उप कमान्डेंट (मुख्य प्रशिक्षण अधिकारी) एवं राजेश पंचाल, सहा० कमान्डेंट, अधीनस्थ अधिकारी एवं जवानों ने तथा उनके पारिवार जन भी योग समारोह में शामिल हुए। योग दिवस के अवसर पर आशीष भटनागर, उप कमान्डेंट (मुख्य प्रशिक्षण अधिकारी) सी०टी०सी० नीमच ने अपने सम्बोधन में बताया “योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है, यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, विचार, संयम तथा स्वास्थ्य की भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। योगा एक पृथ्वी एक स्वास्थ के लिए योग है, यह केवल व्यायाम के बारे में नहीं हैं, अपितु अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में भी है। हमारी बदलती जीवन-शैली में यह चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन, प्रतिकूल वातावरण से निपटने में मदद करता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है तथा उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। सभी से अपील भी कि जहाँ भी मौका मिले समय निकालकर योग करना चाहिए। “करें योग, रहे निरोग”
इसके उपरान्त आयुष मंत्रालय के माध्यम से मिले निर्देशों के अनुसार योग तथा प्राणायाम के सभी अभ्यास, उनका महत्व बताते हुए, किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संदीप दत्ता, महानिरीक्षक सह प्राचार्य ने अपने संदेश में बताया “योग को अपनी जीवनचर्या का हिस्सा बनाए और सभी शारीरिक, मानसिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ रहें। जब हम स्वयं स्वस्थ होगें तभी हमारा समाज भी स्वस्थ बन पाएगा” का आह्वान किया ।