नई दिल्ली: दिल्ली में बीजेपी की नई सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली के लिए एक लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया जिसमें बिजली, सड़क, पानी और संपर्क सहित 10 क्षेत्रों पर फोकस किया गया है। इस बजट को सीएम ने ऐतिहासिक बजट बताते हुए पिछले आम आदमी पार्टी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अब भ्रष्टाचार का दौर खत्म हो गया है। रेखा गुप्ता ने दिल्ली के लिए भले ही एक लाख करोड़ रुपये के बजट के ऐलान के साथ बड़े-बड़े वादे कर दिए हों, लेकिन इन्हें पूरा करने की राह आसान नहीं होगी।
वित्तीय संसाधनों की कमी और राजस्व घाटा : सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि पिछली साल आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान कितना बजट आवंटन किया गया था? दिल्ली सरकार का अनुमानित कर राजस्व 2024-25 में 58,750 करोड़ रुपये था, जबकि कुल बजट 76,000 करोड़ रुपये था। इस साल बजट को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये करने के लिए सरकार को अतिरिक्त 24,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। मौजूदा राजस्व वृद्धि दर (9-10% सालाना) के हिसाब से यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है।
पहले से घाटे में है दिल्ली सरकार: दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, जो बाजार से सीधे उधार नहीं ले सकता। बजट में छोटी बचत ऋण (15,000 करोड़ रुपये) और केंद्र से अनुदान (7,348 करोड़ रुपये) शामिल हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हो सकता। अगर व्यय बढ़ता है और राजस्व नहीं बढ़ा, तो दिल्ली राजस्व अधिशेष से घाटे की ओर जा सकती है। वित्त विभाग ने पहले ही आप सरकार के 4,560 करोड़ रुपये के महिला सम्मान योजना को लेकर चेतावनी दी थी कि यह घाटे को बढ़ा सकता है। वहीं अब बीजेपी की महिला समृद्धि योजना (5,100 करोड़ रुपये) और अन्य सब्सिडी योजनाएं इस जोखिम को और बढ़ा सकती हैं।