भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की पुण्यतिथि विशेष : एक गीत मौन हो गया एक को बुझ गई – अटल बिहारी वाजपेई

Spread the love

मई, 1964 में जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात उनको श्रद्धांजलि देते हुए तत्कालीन विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था कि ”एक सपना अधूरा रह गया, एक गीत मौन हो गया और एक लौ बुझ गई। दुनिया को भूख और भय से मुक्त करने का सपना, गुलाब की खुशबू, गीता के ज्ञान से भरा गीत और रास्ता दिखाने वाली लौ बुझ गई। कुछ भी नहीं रहा।”
”यह एक परिवार, समाज या पार्टी का नुकसान भर नहीं है। भारत माता शोक में है क्योंकि उसका सबसे प्रिय राजकुमार सो गया। मानवता शोक में है क्योंकि उसे पूजने वाला चला गया। दुनिया के मंच का मुख्य कलाकार अपना आखिरी एक्ट पूरा करके चला गया। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।”
”लीडर चला गया है लेकिन उसे मानने वाले अभी हैं, सूर्यास्त हो गया है, लेकिन तारों की छाया में हम रास्ता ढूंढ लेंगे। ये इम्तहान की घड़ी है, लेकिन उनको असली श्रद्धांजलि भारत को मजबूत बनाकर दी जा सकती है।”
भरे गले से इतना बोलने के पश्चात बाजपेयी भावुक हो गए। वाजपेयी जानते थे कि लोकतंत्र का विशाल वटवृक्ष गिर भले गया, मगर वो अपनी मजबूत जड़े हमेशा के लिए छोड़ गया है, जिसपर हिंदुस्तान की इमारत खड़ी होगी।
परंतु आज राजनीतिक नोक-झोंक, विरोध और असहमति का स्तर कितना गिर चुका है। ऐसे में भारत के दो विपरीत धारा के बड़े नेताओं का आपसी सद्भाव, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और हर परिस्थिति में देश के लिये एक होकर खड़े रहने की भावना अनुकरणीय है । ऐसे में वर्तमान व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और सोशल मीडिया जनरेशन के नेताओं और उनकी पिछलग्गू सेना को बहुत कुछ सीखना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *