पीने के पानी को तरस गई इंदौर शहर की पांच लाख की आबादी,…

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इंदौर :गर्मी के तेवर लगातार तीखे हो रहे हैं। इस कारण जलसंकट भी गहराने लगा है। शहर के निजी व सार्वजनिक बोरिंग साथ छोड़ने लगे हैं। ज्यादातर बोरिंगों में पानी की दबाव कम हो चुका है। इस कारण अब टैंकरों की डिमांड बढ़ गई है। कई अपार्टमेंट में तो रहवासी टैंकर खरीदने को मजबूर हैं।

कम दबाव से आ रहे नल : शहर का 75 प्रतिशत इलाका नर्मदा के पानी के भरोसे है। इस माह चार बार पंपों में खराबी आने के कारण शहर की जलापूर्ति व्यवस्था प्रभावित हुई है और शहरवासियों को जलसंकट का सामना करना पड़ा। शहर में नर्मदा से 500 एमएलडी पानी आता है, लेकिन पंपों की खराबी के कारण टंकियां पूरी नहीं भर पा रही है और नल कम दबाव से आ रहे हैं।

पश्चिम क्षेत्र की छह टंकियां यशवंत सागर तालाब के पानी से भरी जाती हैं। तालाब में 16 फीट पानी है, जो मानसून आने तक जलापूर्ति के लिए पर्याप्त है, लेकिन जिन 25 प्रतिशत क्षेत्रों में नर्मदा लाइन नहीं है, वहां टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है।

इसलिए बढ़ी मांग : शहर में 300 से ज्यादा टैंकरों से जल वितरण हो रहा है। चंदन नगर, बाणगंगा, देव नगर, गणराज नगर, मुसाखेड़ी जैसे इलाकों में ज्यादा जलसंकट हैं। जल कार्य समिति प्रभारी अभिषेक शर्मा बबलू ने बताया कि बड़े वार्डों में तीन से चार टैंकर दिए गए हैं। रात के समय भी जल वितरण कराया जा रहा है। बोरिंंग सूखने के कारण टैंकरों की डिमांड ज्यादा आ रही है।

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