भोपाल। मध्य प्रदेश शासन ने 750000 सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोक दिया है। चुनाव आचार संहिता के तहत राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को 4% महंगाई भत्ता मंजूर किया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने वोटिंग के दिन तक ही महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी थी, लेकिन वोटिंग के बाद भी सरकार ने इस विषय पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
कर्मचारी-अधिकारी संगठनों का कहना है कि सरकार जानबूझकर कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों के भुगतान में देरी कर रही है। चुनाव आयोग ने मतदान के दिन तक भत्ते के भुगतान पर अस्थायी रोक लगाई थी। लेकिन, प्रदेश सरकार ने इसके बाद भी भत्ता दिए जाने को लेकर कोई कवायद नहीं की है। आयोग के अस्थायी रोक के बाद सरकार भत्ते के भुगतान के लिए सीधे आदेश जारी कर सकती है। इसके अलावा इस मामले में और स्पष्ट अभिमत लेने के लिए सरकार चुनाव आयोग को दोबारा पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांग सकती है। दोनों ही काम राज्य सरकार के वित्त विभाग ने नहीं किए हैं। इससे कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है। पहले भी सरकार महंगाई भत्ते की पूरी राशि का भुगतान नहीं करती रही है।
लाखों कर्मचारियों के एरियर्स की राशि नहीं दी जा रही है। इन कर्मचारियों को सातवें वेतनमान में अब तक 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। चार प्रतिशत डीए देने के केंद्र सरकार के 20 अक्टूबर के फैसले के बाद अब केंद्र के कर्मचारियों की तरह एमपी के कर्मचारियों को 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलना है, जिसके लिए एक माह से इंतजार करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की राशि का भुगतान करने के लिए चुनाव आयोग से मांगी गई अनुमति के आधार पर राजस्थान में मतदान के पहले ही परमिशन मिल गई थी। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार को आयोग ने दो दिन पहले अनुमति देकर भत्ते की राशि के भुगतान के लिए कहा है।

