किसी पहचान की मोहताज नहीं है  रानी रूपमती के तरानों की साक्षी मांडवगढ़ की हसीन वादियां

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धार । (अनीता आनंद मुकाती)
प्रकृति की सुरम्य वादी व मुगलकालीन  सल्तनत की धरोहर को अपने आंचल में समेट कर सैलानियों के लिए पर्यटन की पहचान रखने वाला  मध्य प्रदेश के धार जिले का  मांडव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। विश्व की ऐतिहासिक धरोहर में शामिल मांडव देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों  को भी अपनी छटा व ऐतिहासिक धरोहर से आकर्षित करता है। 
देश दुनिया के पर्यटक इस ऐतिहासिक नगरी में
रानी रूपमती के झरोखे से मां नर्मदा की पावन धवल धारा को देखने की लालसा लिए मांडू की इन हरी  भरी और हसीन वादियों में  भ्रमण करने  आते हैं और उन प्रेम की अद्भुत स्वर लहरियों में जो यहां के खूबसूरत मनोरम दृश्य में संगीत की एक नशीली इबारत मधुर झंकार सी सुनाई देती है में स्वयं को भूल जाते हैं। अद्भुत वास्तु और शिल्प की  समृद्ध कला को अपने सीने कैद कर सैकड़ों वर्षों से अपने ऐतिहासिक महत्व का याद दिलाती धरोहर मांडव की वादियों में साहित्य संगीत प्रेम और राजसी ठाठ का एहसास दिलाता है। इन सुरम्य वादियों और ऐतिहासिक धरोहर की बदौलत प्रेमी जोड़े इस सुहाने मौसम में जुलाई से अक्टूबर तक यहां के मनभावन दृश्य को अपने नयन कटोरे में भरकर ले जाते हैं और एक अतृप्त प्यास लिए फिर आने का वादा करके लौट जाते हैं।  पर्यटकों के लिए छुट्टियां मनाने का यह एक ऐसा पर्यटक स्थल बन गया है जहां सैलानी खींचे चले आते हैं। रिमझिम बारिश के दौरान भुट्टे का आनंद  हो या  दाल बाटी , दाल पानिये का स्वाद  होटल और रेस्टोरेंट परोसते नजर आते हैं। यहां खुरासानी इमली का अपना रुतबा है जिसे सैलानी लेना नहीं भूलते । भागम भाग और तनाव भूलकर यहां आने वाला पर्यटक मांडव की वादियों में मस्ती मौज का आनंद लेते दिखाई देते है। मांडव का समृद्ध  इतिहास बयां करती बाज बहादुर और रूपमती के प्रेम की गाथा आज भी  जाति धर्म और रुतबे से  पवित्र प्रेम की याद दिलाती है। क्योंकि रानी रूपमती के कोकिल कंठी स्वर  और काव्य प्रतिभा  के पीछे भागते हुए बाज बहादुर कब रूपमती के प्रेम में पागल हो गए उन्हें खुद भी पता नहीं चला ,लेकिन रूपमती ने यह जान लिया था कि बाज बहादुर उन्हें अटूट प्रेम करने लगे हैं  तब रूपमती ने अपने काव्य व गायन को निखारना शुरू कर दिया था। रूपमती  की  तपस्या और संगीत प्रेम के दीवाने होकर बाज बहादुर ने सारी रस्म रिवाज को ताक में रख रूपमती को अपने हृदय के संगीतालय में  जगह देने के साथ अपनी रानी भी बना लिया । बाज बहादुर ने रूपमती के नर्मदा दर्शन के प्रण को यथावत रखने के लिए खूबसूरत रूप मति का झरोखा बनवाया जहां से रूपमती अपनी आराध्या श्वेत सलिला मां नर्मदा के दर्शन कर पूजन अर्चन कर करती थी । आज भी उस खूबसूरत झरोखे से मां नर्मदा के पावन दर्शन होते हैं ,जो 365 मीटर ऊंची चट्टान पर बनी हुई है। रूपमती के प्रेम की निशानी है जिसे रूप मति ने स्वयं देखा सराहा जिया और दर्शन लाभ भी लिया था।  बाज बहादुर मालवा का अंतिम शासक था जो अकबर की सेना से परास्त हो भाग खड़ा हो गया था और रानी रूपमती इस विछोह और बाज बहादुर के छोड़ने के अपमान और अकबर के अपमान के भय से अपनी जीवन लीला और प्रेम कहानी के दर्दनाक अंत को अंजाम देकर अपनी जिंदगी के सफर को भी रास्ते में ही छोड़ दिया। रुपमति  उस अंत हीन  इंतजार में  लीन हो गई जो कभी मरता नहीं है, उस दुनिया में लीन हो गई जो कभी मरती नहीं है, जिसमें समाया है एक अंतहीन इंतजार जो कई सदियों से इन वीरान खंडहरों में देखा जा रहा है । ना कोई बाज-बहादुर लौटा ना कोई दूसरी रूपमती पैदा हुई उसी के गाए  काव्य गीत आज भी वहां कल कल करते झरने और मौन इमारतों के इर्द-गिर्द गूंजते रहते हैं।  1561 के बाद मांडू ऐसा ही खामोश और गमगीन खड़ा है। आने को लाखों लोग रोज आते हैं लेकिन दिन ढलते ही यहां आने लगती है एक सदा जो किसी को अंतर मन से पुकार रही है कह रही है कहां है वह बादशाह जो अपनी जान बनाकर रखता था आज अपनी जान की खातिर मुझे यूं तन्हा और मायूस दुश्मनों के हवाले छोड़कर भाग खड़ा हुआ। उसके बाद मालवा की पहली महिला गीतकारा जिन्होंने अपने जीवन के दर्दनाक दौर को उस समय कविता के रूप में जिया भी लिखा भी और गाया भी फ़ारसी भाषा में उनके प्रेम के किस्से काव्य के रूप में आज भी लिखे हुए इतिहास में मौजूद है जिसमें रूपमती के काव्य प्रेम मधुर आवाज और बाज बहादुर के प्रेम के दर्दनाक अंत के किस्से फारसी भाषा के इतिहास में मौजूद है। मध्य प्रदेश का पर्यटन विभाग भी मांडव को  विश्व पटल पर ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रचारित प्रसारित कर रहा है। यहां हर साल मांडव उत्सव का आयोजन किया जाता है ,जिसमें देश भर के कलाकार और साहित्यकार भाग लेते हैं ।इस बार आप भी इन मनोरम प्राकृतिक ऐतिहासिक इमारत का और सुहाने बरसाती रिमझिम मौसम का आनंद लीजिए , नीलकंठ शिवालय का आशीर्वाद लीजिए ,जहाज महल की यात्रा कीजिए ,एको पॉइंट से आवाज़ दीजिए, जामा मस्जिद की भव्यता देखिए रूपमती के झरोखे से नर्मदा का दर्शन कीजिए। 
  और अंत में :                           
*मुझको तेरे प्यार का पल – पल दोहराना पड़ता है,*
 *तनहाई में दिल को अपने यूं बहलाना पड़ता है।*
 *एक फक़त दिल के जाने से कितने हो हैरान पिया*,    
  *हमसे पूछो प्यार में क्या-क्या दर्द उठाना पड़ता है।* 

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