नई कृषि मंडी में नीलामी व्यवस्था से छोटे किसान परेशान

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*नीलामी अव्यवस्था घटा रही आवक व राजस्व*

नीमच।

चंगेरा स्थित नई कृषि उपज मंडी में अभी से जारी और व्यवस्थाओं और मनमानी नीमच मंडी की साख को आहत कर आवक को प्रभावित कर रही है। जिसके कारण मंडी को राजस्व का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 2 वर्षों से गेहूं की उपज का कारोबार नई चंगेरा मंडी में हो रहा है। जहां पहले तो छोटा किसान भी अपनी उपज ढेर लगाकर नीलामी में बेच सकता था। परंतु अब छोटे किसान 10 – 15 बोरी उपज नीलामी में नहीं बेच सकते। जबकि गांव के छोटे किसानों को कम उपज बेचना जरूरी होता है जो उन्हें मजबूरन गांव के व्यापारियों उनको उनके मन मुताबिक भाव पर बेच कर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि पड़ोसी राजस्थान के निंबाहेड़ा मंडी में गेहूं की आवक बढ़ गई है और नीमच मंडी में घट गई है । जबकि नीमच मंडी में उपज के दाम किसानों को अन्य मंडी की बजाय ज्यादा ही मिलते हैं। इसलिए नवागत मंडी सचिव को यहां हो रही नीलाम व्यवस्था का संज्ञान लेकर किसानों की नाराजगी दूर करना चाहिए ताकि आवक व राजस्व प्रभावित नहीं हो। इसके अलावा लंबे समय से चालू हुई नई मंडी में अन्य उपज की नीलामी शुरू नहीं की जाना भी किसानों की परेशानी में शामिल है इसलिए यह नीलामी भी किसान हित में शुरू करना जरूरी है। क्योंकि अब तो मुख्यमंत्री के हाथों इसके उद्घाटन की रस्म भी पूर्ण हो चुकी है। इस मंडी में नीलामी को लेकर प्रशासन तोल कांटों की कमी बता कर पल्ला झाड़ लेता है। तो क्या इतने अंतराल के बाद भी प्रशासन तोल कांटों की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है यह विचारणीय प्रश्न है। जबकि केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल कहते हैं कि हम तीन दिन में 1 किलोमीटर रेल लाइन बिछा सकते हैं तो फिर इन तौल कांटों की बिसात ही क्या है।

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