कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में ऐसे चेहरे को मंदसौर संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। वह भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देने में सक्षम है इसमें कोई संशय नहीं है लेकिन सवाल उस चौकड़ी का है जो खुद को कांग्रेस के निष्ठावान सिपाही जरूर बताते हैं मगर उनकी हकीकत महज अपना स्वार्थ हल करने की होती है और वे अपने स्वार्थ की खातिर कांग्रेस की पीठ पर वार करने से भी बाज नहीं आते। आज भी दिलीप गुर्जर की नीमच अगवानी के साथ ही उन्हें जिन लोगों ने घेर रखा था उसके बाद मंच पर भी उन्होंने कब्जा कर समर्पित कांग्रेस पार्षद हो या अन्य नेता उन्हें दरकिनार रखा जो नाराजगी का कारण भी बना जिसका नजरा सभा के बाद मंच के नीचे भी नजर आया। बाहर भी कांग्रेस कार्यकर्ता खुलकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं की आलोचना करते नजर आए। वैसे इसे कांग्रेस का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस व्यक्ति ने कांग्रेस की बदौलत इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया उस व्यक्ति ने जब कांग्रेस के खिलाफ नगर पालिका चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा तो इस क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद स्वर्गीय बाल कवि बैरागी जी ने उनसे इसलिए नाता तोड़ लिया था कि इस नेता ने सिर्फ पद के लालच में कांग्रेस से बगावत की थी, आज उसी शख्स को कांग्रेस ने जिला कांग्रेस का सिरमौर बना रखा है ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह नेता और इसकी चौकड़ी दिलीप गुर्जर के साथ भी न्याय कर पाएगी या फिर अपना स्वार्थ साधकर कांग्रेस को टोपी पहनाने का ही काम करेगी….?
तारणहार बन चिपक गए कश्ती डूबाने वाले…
