कुकडेश्वर।(प्रकाश एस जैन) रामायण व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है।आज हर व्यक्ति चाहता है कि हमारा बेटा राम जैसा हो और बहू सीता जैसी हो लेकिन इसके लिए स्वयं को पहले दशरथ व कौशल्या बनना होगा। उनके चरित्र को आत्मसात करना होगा तभी उन्हें ऐसे बेटे और बहू प्राप्त होगी। उक्त आशय के विचार धर्म प्रचारक रामलीला मंडल काशी(बनारस ) के पंडित कौशल कुमार ने श्री सहस्त्र मुखेश्वर महादेव की धर्म नगरी कुकड़ेश्वर में रामायण मंडल द्वारा प्रस्तुत रामलीला महोत्सव के दौरान व्यक्त करते हुए कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन में उदारता,सहनशील, वात्सल्य के साथ रहकर अपना जीवन अनुकरणीय बनाना चाहिए। क्योंकि राम के आदर्श मर्यादा के आचरण को आत्मसात कर हम स्वयं सुखी बना सकते रामलीला मंचन के चतुर्थ दिवस श्री राम सीता का विवाह प्रसंग एवं परशुराम लक्ष्मण संवाद पर बहुत ही मार्मिक उदाहरण के साथ रामलीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर नपा अध्यक्ष उर्मिला पटवा एवं अन्य समाज सेवियों गणमान्य नागरिक माताओं ने कन्यादान में हिस्सा लिया