मोदी राज में आत्मनिर्भर नहीं, टैरिफ-निर्भर बना भारत – मधु बंसल

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नीमच। (AP NEWS EXPRESS)

अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर सीधे 50% टैरिफ (शुल्क) लगाने का निर्णय लिया है। पहले यह दर 25% थी। इस फैसले से भारत के लगभग 48 अरब डॉलर के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा और वस्त्र, आभूषण, समुद्री खाद्य, फर्नीचर तथा केमिकल जैसे सेक्टर को गहरा झटका लगेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन क्षेत्रों का निर्यात अमेरिका में लगभग 70% तक घट सकता है और कुल निर्यात में 43% की गिरावट दर्ज होगी। यह स्थिति बताती है कि मोदी सरकार की कूटनीति और व्यापार नीति दोनों पूरी तरह विफल हो चुकी हैं।
कांग्रेस नेत्री मधु बंसल ने कहा कि मोदी सरकार बार-बार भारत को “विश्वगुरु” और “सुपरपावर” बताने का दावा करती रही है, लेकिन जब हमारे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका ने इतने ऊँचे टैरिफ लगा दिए, तब केंद्र सरकार चुप्पी साधकर बैठ गई। प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं में केवल फोटो खिंचवाने और भाषण देने में व्यस्त रहते हैं, जबकि असली मुद्दों—किसानों, व्यापारियों और युवाओं के रोजगार—पर उनकी कूटनीति पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। आज देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है। कॉर्पोरेट सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने से लाखों नौकरियां खत्म होने के कगार पर हैं, लेकिन सरकार इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। किसानों की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि चुनावी वादों में दोगुनी आय का सपना दिखाया गया था। छोटे व्यापारियों और उद्योगपतियों को बाजार में लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है और आर्थिक मंदी ने उद्योग-धंधों की कमर तोड़ दी है। सरकारी नौकरियों में भारी कटौती कर दी गई है और जो परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं वे भी पेपर लीक और भ्रष्टाचार के दलदल में फँसकर युवाओं के भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर भी मोदी सरकार बुरी तरह विफल रही है। प्रधानमंत्री चीन से मित्रता की बातें कर रहे हैं, जबकि वही चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मदद करता है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा की विदेश नीति ने भारत की स्थिति को कमजोर ही किया है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस सरकार के समय अमेरिका और अन्य देशों ने भारत पर कभी इतने ऊँचे टैरिफ नहीं लगाए। उस समय भारत की विदेश नीति और व्यापारिक रिश्ते संतुलित व मज़बूत थे। मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में 2004 से 2014 तक भारत की जीडीपी वृद्धि औसतन 7.5% रही। वर्ष 2010-11 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.5% तक पहुँची, जो आज की तुलना में कहीं बेहतर थी। यही नहीं, कांग्रेस सरकार के समय भारत का कृषि निर्यात भी रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा—2004-05 में कृषि निर्यात लगभग 7 अरब डॉलर था, जो 2013-14 तक बढ़कर 43 अरब डॉलर हो गया। चावल, गेंहूँ और मसालों का निर्यात दोगुना-तिगुना हुआ और किसानों को वैश्विक बाजार से सीधा लाभ मिला। आज ज़रूरत है ठोस कदम उठाने की, केवल भाषण और खोखले नारों की नहीं। इस संकट से निपटने के लिए सबसे पहले युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देना होगा—नई सरकारी नौकरियों की संख्या बढ़ाई जाए और परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। किसानों की आय को वास्तविक रूप से बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी दी जाए और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए वैश्विक बाज़ारों से व्यापार समझौते किए जाएँ। छोटे व्यापारियों और उद्योगों को राहत पैकेज व आसान ऋण सुविधा दी जाए ताकि मंदी से उबर सकें। साथ ही, अमेरिका और अन्य देशों के साथ समानता के आधार पर वार्ता कर भारत के निर्यातकों को सुरक्षा प्रदान की जाए। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सरकार आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे नए तकनीकी बदलावों के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करे और उन्हें आने वाले समय की नौकरियों के लिए तैयार करे। यही वास्तविक “आत्मनिर्भर भारत” होगा, जो केवल नारों से नहीं बल्कि ठोस नीतियों से संभव है।

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