सर्वोच्च धर्म है आत्म शुद्धि – शास्त्री

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नीमच। (AP NEWS EXPRESS)
भारत अनादि काल से ऋषियों मुनियों की पवित्र भूमि रहा है जहां आत्मा की शुद्धि को ही सर्वोच्च धर्म माना गया है। धर्म सरलता देने वाला, मन की कुटिलता को समाप्त करने का परिचायक है। जैन दर्शन के अनुसार माया हमारे भाव से निर्मित होती है । संसार का कितना ही बुरा पदार्थ हो जब तक हमारे अंदर उसके प्रति आसक्ति के भाव नहीं होंगे तब तक वह पदार्थ हमें प्रभावित नहीं कर सकता । यह बात पंडित भावुक शास्त्री ने कही।वे दिगंबर जैन समाज नीमच के तत्वाधान में दिगंबर जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म के माध्यम से हम माया की जड़ को काट सकते हैं।
इस अवसर पर पंडित भावुक जी के सानिध्य में
सुबह 7 बजे से 8:15 बजे शांति धारा अभिषेक, 8:15 से 9:15 प्रवचन, 9:15 बजे सामूहिक पूजन, दोपहर तीन से चार तत्व चर्चा ,5 बजे 6:30 बजे सामायिक के पश्चात आरती तथा आरती के बाद प्रवचन रात्रि 9 बजे नैतिक शिक्षाप्रद आधारित सहित विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दिगंबर जैन समाज नीमच के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि पर्यूषण पर्व का तीसरे दिन उत्तम आर्जव नवकार मंत्र जाप से शुभारंभ हुआ। संगीतकार रामकिशन एंड पार्टी छिंदवाड़ा ने अपनी विविध प्रस्तुतियां दी।
शांतिधारा के लाभार्थी परिवार ,जीटी परिवार ,संगीता नागोरी ,जैन ब्रदर्स परिवार महेंद्र, विमल कासलीवाल गोयल जनरल स्टोर अनीता सालगिया, नीरज अजमेर परिवार ने धर्म लाभ लिया।
1008 पार्श्वनाथ भगवान के मस्तक पर प्रथम अभिषेक एवं चतुर्थ कलश का सौभाग्य का धर्म लाभ नंद कुमार सराफ परिवार ने प्राप्त किया। श्री संघ पदाधिकारी एवं समाज जनों द्वारा धर्म लाभार्थी परिवारजनों की अनुमोदना एवं सम्मान किया । इसके साथ ही शनिवार 30 अगस्त को जैन सोशल ग्रुप के तत्वाधान में प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । 6 सितंबर शनिवार को दोपहर 2:30 बजे एवं भावुक जी का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। सोमवार 8 सितंबर को सुबह 8:30 बजे रथ यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकाली जाएगी। यात्रा के पश्चात सामूहिक क्षमापना पर्व एवं पुरस्कार वितरण किया

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