क्यों डूब रही विपक्षी लुटिया…….

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राजपुरोहित सुरेश “सन्नाटा”

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही राजनीतिक दलों ने अपनी ढफली बजाना अपना राग सुनाना शुरू कर दिया है याने वे अपनी बात, अपने इरादे लेकर जनमानस के बीच जाकर उनके दिल जीतने के भरपूर प्रयास में लगे है। क्योंकि चुनाव जीतने की प्रक्रिया के सही मायने दिल जीत कर मतदाता के मत प्राप्त करने पर ही निर्भर है जो तमाम मुद्दों को गौंण करने की क्षमता रखता है। आज की स्थिति को अगर देखा जाए तो विपक्ष का अत्यंत कमजोर होना उसकी निराशा और प्रबंधन के अलावा आपसी समन्वय नहीं होना और गुटबाजी भाजपा की जीत का बड़ा कारण है। जिसका समाधान लगता है कांग्रेस के बूते से बाहर हो गया है। ऐसे में इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता है कि मोदी की असंभव को संभव बनाने की जो रणनीति है उसने भी कांग्रेस को पस्त करने में बड़ी भूमिका दर्ज करवाई है। अभी भी भाजपा ने अपना टारगेट 370 रखा है जो भाजपा की उस मानसिकता का परिचायक है जो अपना ग्राफ बढ़ाने के लिए कभी भी लक्ष्य छोटा नहीं बल्कि बढ़ा ही रखती है। अगर हम बात करें विपक्ष कि तो विपक्ष को कमजोर करने में मोदी की सबसे बड़ी कामयाबी विपक्षी एकता को रोकना है। जिसमें वे हमेशा सफल रहे हैं। उसके अलावा भाजपा की क्षमता बढ़ाने के लिए मोदी ने जिस तरह समुदायों को साथ कर भाजपा के साथ जोड़ने की कारीगरी दिखाने के साथ ही उनको अपने समर्थन में बनाए रखने की रणनीति को मूर्ति रूप दिया है उससे भी विपक्ष को कमजोर होना पड़ रहा है। वैसे विपक्ष की एकता में क्षत्रपों की वह मानसिकता भी जवाबदार है जिसमें सभी स्वयं महाराजा बनने की हसरत पाले हुए हैं।

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