नीमच।हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर मरीजों की जान से खिलवाड़ करना जिला चिकित्सालय के चिकित्सक हो या स्टाफ इनकी आदत में शुमार हो गया है। यह एक ऐसी लापरवाह लाइलाज बीमारी है जिसका निदान प्रशासन की फटकार हो या फिर पीड़ित मरीज के परिजनों का आक्रोश वह भी इन्हें नहीं सुधार पाया है। कई बार परिजनों ने अपने मृत परिजन का शव जिला चिकित्सालय प्रांगण में रखकर धरना प्रदर्शन भी किया। राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा भी प्रदर्शन किए गए। उसके बावजूद यहां का चिकित्सा अमला एवं नर्स आदि सुधारने को तैयार नहीं है। अगर बात करें मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी की तो वे शायद नाम मात्र के अधिकारी बनकर बैठे हैं। इसी तरह सिविल सर्जन भी अपने स्टाफ व चिकित्सकों के पक्षधर बन शौकाज नोटिस देने का भुलावा देकर जिम्मेदार चिकित्सक हो या कर्मचारी को बचाने का ही कार्य करते हैं। इस अमले को कई बार जिला कलेक्टर व विधायक भी फटकार लगा चुके हैं। उसके बावजूद यह अमला अपने ढर्रे पर ही कार्यरत है। गत रात्रि का एक मामला आज सामने आया जिसमें यहां मेटरनिटी वार्ड में भर्ती एक महिला के प्रसव में नर्सों व डॉक्टर श्रीमती लाड की लापरवाह कार्य शैली ने बच्चे की जान ले ली। क्योंकि समय पर डिलीवरी करवाने की बजाय नर्सों पर परिजनों नया आरोप लगाते हुए बताया कि वे अपनी जवाबदारी छोड़कर मोबाइल देखने में व्यस्त रही । परिजनों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भी चर्चा की तो वे तुम डाल डाल हम पात-पात वाली स्थिति में नजर आए। इस दौरान ड्यूटी रत चिकित्सक डॉक्टर श्रीमती लाड से जब चर्चा की गई तो वह भी स्टाफ पर सारी लापरवाहियां ठोकते हुए अपनी जवाबदारी से बचती नजर आई। सिविल सर्जन ने परिजनों को हम नोटिस देकर जांच करेंगे उसके बाद कोई कार्रवाई करेंगे का झुनझुना पकड़ा कर इति श्री कर ली। परिजनों का कहना है कि डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद डॉक्टर और स्टाफ उन्हें भुलावे में रखता रहा कि कोई टेंशन नहीं डिलीवरी से कुशलता से हो जाएगी। जबकि परिजनों ने स्टाफ व डॉक्टर से आग्रह किया था कि अगर आप नहीं देख सकते तो हम इसे अन्यत्र ले जाएं लेकिन उसे रेफर भी नहीं किया गया और अंततः बच्चा मृत पैदा हुआ। यह तो गनीमत रही कि जच्चा की जान बच गई।
नहीं सुधरना चाहता जिला चिकित्सालय अमला, प्रसव में लापरवाही नवजात की मौत

