नीमच। (सुरेश सन्नाटा)
आस्था, श्रद्धा और समर्पण ऐसा त्रिवेणी संगम है जो हर किसी के मन मंदिर में प्रवाहित हो जरूरी नही होता, परंतु कुछ शख्सियत ऐसी भी होती है जो इस त्रिवेणी संगम का अनुकरणीय उदाहरण बन जाती हैं। ऐसी ही एक शख्सियत नीमच जिले की पहचान बनकर जनजीवन की धड़कन में राज करती नजर आती है। उस धर्म परायण लोगों के सुख-दुख के हमराही व्यक्तित्व का नाम है समाजसेवी अशोक अरोरा जो निसंदेह आध्यात्मिक सोच के साथ धर्म की अलख जगाने के अलावा समाज सेवा के नीत नए पायदान चढ़ते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि आज वे स्वयं ऐसी पहचान बन गए हैं जो अन्य किसी पहचान के मोहताज नहीं है। अशोक अरोरा वर्ष भर भव्य आध्यात्मिक प्रकल्प आयोजन के माध्यम से नीमच से लेकर राजस्थान के सांवरिया धाम तक आस्था, श्रद्धा और समर्पण का मेला लगाकर धर्म गंगा प्रवाहित करने का बीड़ा उठाते रहते हैं। इसी तरह वे अन्य सामाजिक, राष्ट्रीय हो या अन्य कोई प्रकल्प उदार मन से अपनी सहभागिता समर्पित करना नहीं भूलते यही वजह है की जन मन भी उन्हें अपना भरपूर स्नेह लुटाता नजर आता है । जिसका सबसे बड़ा प्रमाण उनके जन्मदिन अवसर पर देखने को मिलता है जब हजारों लोग उन्हें दीर्घायु जीवन की शुभकामना देने के लिए उनका अभिनंदन करने को आतुर होकर उनके जन्मदिन अवसर को महोत्सव बना देते है। विशेष बात यह है कि अशोक अरोरा के सुपुत्र अरुल अरोरा भी अपने पिता की धर्म परायणता व समाजसेवी छवि को आत्मसात कर इस पथ पर निरंतर अग्रसर हो रहे हैं। नीमच से लगी राजस्थान सीमा में स्थित सांवरिया सेठ के मंदिर से जुड़ी अशोक अरोरा की आस्था प्रतिवर्ष नीमच से मंडफिया धाम तक 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकलती है जिसमें हजारों भक्त सहभागिता कर इसे यादगार बनाते हैं। इसी तरह श्रावण मास के अंतिम सोमवार को किलेश्वर महादेव नीमच की शाही सवारी भी अरुण अशोक अरोरा के संयोजन व नेतृत्व में नीमच शहर की फिजा को भक्तिमय बना देती है । अरुल अशोक अरोरा की धर्म परायण सोच मंदिर निर्माण हो या उसका कायाकल्प अथवा धार्मिक आयोजन उसमें मुक्त हस्त से अपना योगदान समर्पित करने में पीछे नहीं रहती। मेवाड़ मालवा का आरोग्य तीर्थ स्थल नीमच जिले में स्थित महामाया भादवा माता के भी वे परम भक्त हैं। इस स्थल के कायाकल्प में उनके द्वारा प्रदत्त करोड़ों का योगदान मां के श्री चरणों में समर्पित किया गया है। कहने का आशय यह है कि समाज सेवा हो या फिर आध्यात्मिक आयोजन अथवा धार्मिक प्रकल्प उसमें अरुल अशोक अरोरा तन, मन, धन से अपना योगदान समर्पित करते रहते हैं। यही वजह है कि आज उनकी लोकप्रियता जनजीवन के सिर चढ़कर बोलती नजर आती है।
*आज 4 अगस्त को निकलेगी किलेश्वर महादेव की शाही सवारी*
नीमच के महाकाल के नाम से प्रसिद्ध श्री किलेश्वर महादेव की शाही सवारी आज 4 अगस्त को शहर के प्रमुख मार्गों से धूमधाम से निकलेगी। चमत्कारिक श्री किलेश्वर महादेव विशेष श्रृंगारित शाही रथ में विराजित होकर जनता के हाल जानने के लिए शहर भ्रमण करेंगे।
युवा समाजसेवी अरुल अशोक अरोरा गंगानगर के नेतृत्व में शाही सवारी की तमाम तैयारियां अंतिम रूप ले चुकी है। श्री किलेश्वर महादेव परिसर को कलकत्ता से मंगाए गए फूलों से सजाकर महक दिया गया है। उल्लेखनीय है कि श्रावण मास के दौरान नीमच शहर में स्थित 450 वर्षीय अति प्राचीन श्री किलेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड उमड रही है। श्रावण मास के अंतिम सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हजारों भक्तों करेला उमड़ेगा। जो भोले बाबा के मंदिर मे दर्शन अभिषेक पूजा अर्चना के साथ ही शाही सवारी का हिस्सा बनकर उसे यादगार बनाएगा। सोमवार शाम चार बजे श्री किलेश्वर महादेव परिसर में युवा समाजसेवी अरुल अरोरा गंगानगर भोलेनाथ की विशेष आरती करेंगे और भोलेनाथ की जयघोष के साथ शाही सवारी नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान करेगी । भगवान भोलेनाथ राजसी रथ में विराजित होकर शहर वासियों को आशीर्वाद देते नजर आएंगे। झांझ – डमरू पार्टी, विशाल नंदी, राधाकृष्ण, बाहुबली हनुमान, अघोरी, नर मुंड के साथ भोलेनाथ, आदिवासी लोक नृत्य, विद्युत चलित झांकियां और भव्य आतिशबाजी शाही सवारी को नयनाभिराम बनाकर अपनी छटा से भक्तों का मन मोह लेगी । शाही सवारी का जगह-जगह स्वागत, अभिनंदन व अगवानी करने को आतुर समाजसेवी संगठन, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं, व्यापारियों, जनता जनार्दन आदि ने तैयारी कर ली है जो किलेश्वर महादेव की शाही सवारी का स्वागत – अभिनंदन कर धन्य होगी। चमत्कारिक श्री किलेश्वर महादेव की शाही सवारी का भक्तों को बेसब्री से इंतजाम रहता है। क्योंकि उज्जैन महाकाल की तर्ज पर निकालने वाली यह शाही सवारी बच्चे ,जवान , बुजुर्ग हर वर्ग के भक्तों को भक्ति में रमा देती है। नीमच के राजा श्री किलेश्वर महादेव मंदिर की शाही सवारी श्री किलेश्वर महादेव परिसर से 4 अगस्त को शाम 4 बजे शुरू होगी, जो रेलवे स्टेशन, चौकन्ना बालाजी, अग्रसेन वाटिका, तिलक मार्ग होते हुए बारादरी फव्वारा चौक पहुंचेगी। यहां से कमल चौक, टैगोर मार्ग होते हुए सीआरपीएफ रोड से चलकर पुनः श्री किलेश्वर महादेव मंदिर परिसर पहुंचेगी जहां शाही सवारी का विश्राम होगा। शाही सवारी के दौरान पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के पुख्ता इंतज़ाम रहेंगे।