श्रीमद भागवत कथा का समापन  मित्र बनाना हो तो कृष्ण व सुदामा जैसा बनना चाहिए- मनीष भैय्या 

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(बदनावर। शरद पगारिया )श्रीमद् भागवत सत्संग यज्ञ कथा का खेड़ा में रविवार को समापन हुआ। अंतिम दिन कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कथा पाटीदार धर्मशाला नाहर परिवार ने करवाई थी।

    कथावाचक मनीष भैय्या श्रीदुर्गाधाम थे। कथा का समापन सुदामा चरित्र के वर्णन के साथ हुआ। कथावाचक भैयाजी द्वारा सुदामा चरित्र का वर्णन किए जाने पर पांडाल में उपस्थित श्रोता भाव विभोर हो गए। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करना हो तो कृष्ण सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। 

    श्री कृष्ण ने संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया भगवान कृष्ण का गरीब ब्राह्मण सुदामा से इतना प्रेम था उन्होंने कहा कि एक दिन सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र यह व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक द्वारपाल महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है जिसके सर पर ना तो पगड़ी है ना तन पर कपड़े हैं और जो कपड़े हैं वह भी फटे हुए हैं कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं । वे महल से भागते भागते दौड़ पड़ते सुदामा से मिलने कि सुदामा मेरे बचपन का यार मुझसे मिलने के लिए आया है तो भगवान अपने मित्र सुदामा को रोककर गले लगाते और दो मुट्ठी चावल में दोनों लोको की संपदा गरीब सुदामा ब्राह्मण को दे देते हैं। भैय्या ने कहा कि भागवत कथा मोक्ष को देने वाली होती है। राजा परीक्षित को कथा श्रवण के सात दिन बाद मोक्ष मिला था। भगवान की निस्वार्थ भाव से अनन्य भक्ति करना चाहिए। भगवान से कुछ नहीं मांगे प्रभु भक्ति करते रहे। भगवान् खुद फल देते हैं और सारे पापों का नाश कर देते हैं। कथावाचक ने इस मौके पर भगवान कृष्ण की लीलाओं का भी बखान किया। सातो दिन पंडित रामेश्वर दुबे व शुभम शास्त्री ने विधि विधान से पूजन पाठ उनके द्वारा करवाया। फिर समापन के दिन यजमानों को पंडित द्वारा पूर्णाहुति करवाई गई। इसके पश्चात शोभायात्रा निकाली गई ।रथ में मनीष भैय्या विराजित हुए। 

    मुख्य यजमान बद्रीलाल पाटीदार व नाहर परिवार द्वारा भागवत महापुराण की पोथी को अपने सिर पर रख कर गांव में जुलूस निकालते हुवे ढोल नगाड़ों के साथ भागवत प्रेमी नाचते गाते आनंद लेते हुए बड़ी संख्या में लोगो ने आनंद लिया।

     इसके बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। इसके पश्चात भोजन प्रसादी भंडारा का आयोजन रखा गया। कथा को लेकर यहां सप्ताह भर से धार्मिक उत्साह का माहौल बना हुआ था।

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