नीमच।
जीव दया का पालन करना ही अहिंसा का परिचायक है। प्राणी मात्र की सेवा से जो सुख मिलता है वह पुण्य में परिवर्तित होता है। चौथमल जी महाराज साहब ने झोपड़ी से लेकर महलों तक अहिंसा का संदेश दिया। मुक्त आशय के उदगार विजय मुनि जी महाराज ने चातुर्मास हेतु अपने प्रवेश के दौरान नीमच सिटी स्थित श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन समाज वर्धमान जैन स्थानक सभा कक्ष में धर्म सभा के दौरान व्यक्त किये।उन्होंने कहा कि समाज श्री संघ को चातुर्मास का अवसर पुण्य कर्मों के फल से मिलता है। चातुर्मास तपस्या और साधना कर आत्म कल्याण के लिए होता है। इस अवसर पर साधु संत स्वयं भी तपस्या साधना करते हैं और श्रावक श्राविकाओं को भी प्रेरणा देते हैं। चंद्रेश मुनि ने कहा कि नीमच की पवित्र धरा लाल माटी पर चौथमल जी महाराज साहब की जन्मस्थली होने से यहां के लोगों में चातुर्मास के प्रति अपार उत्साह है। देश के कोने-कोने से लोगों के चातुर्मास में आने के लिए अति उत्साह है। धर्म सभा में अरिहंत मुनि जी महाराज साहब एवं जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब का सानिध्य मिला। इस अवसर पर श्री संघ अध्यक्ष उमराव सिंह राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन दिया। धर्म सभा में श्रीमती कीर्ति भंडारी मोनिका पोखरणा, श्रीमती आशा सांभर, रानी राणा, रीमा कोचेटा, आदि ने साधु संतों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किये। इस अवसर पर विधायक दिलीप सिंह परिहार, नगर पालिका अध्यक्ष स्वाती गौरव चोपड़ा, समाजसेवी संतोष चोपड़ा, सुनील लाला बम, सिद्धराज सिंघवी, रमेश भंडारी, मनोहर शंभू बम, भारतीय वीरवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार, इन्दिरा नाहर,शेखर नाहर,जावद, सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। धर्म सभा का संचालन विजय बाफना ने किया।