शुद्ध पर्यावरण जीवन की एक ऐसी जरूरत है जो जनजीवन के बेहतर स्वास्थ्य का कवच है। ऐसे में अगर वही पर्यावरण दूषित हो तो जीवन संकट में घीर कर कई व्याधियों का घर बन जाएगा। पर्यावरण बचाकर स्वास्थ्य की बेहतरी का परचम फहराने के लिये जरूरी है कि हम शुद्ध हवा, शुद्ध वातावरण बनाए रखने के लिये वृक्षों को का लालन-पालन पूरी जिम्मेदारी से करें। नदी-नालों की स्वच्छता को गंदगी की भेंट नही चढ़ने दें। लेकिन आज हम पर्यावरण बचाने की बात तो बढ़-चढ़ कर करते हैं परन्तु धरातल पर जंगलों का विनाश हो या नदी नालों को गदंगी का घर बनाने के हम स्वयं जिम्मेदार बन रहे है। पर्यावरण दिवस पर रैली निकालकर या अन्य प्रकल्प के माध्यम से पर्यावरण बचाने का संदेश देना अच्छी बात है। मगरर सवाल यह है कि ये तमाम कवायद क्या मात्र औपचारिकता कहें या दिखावा नहीं बनती जा रही है ? क्योंकि इस दिवस के बाद पुनः हमारी मानसिकता पर्यावरण दूषित हो रहे पर्यावरण से बेखबर होकर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाती है। जिसका खामियाजा हम स्वयं भुगत रहे है। कहने का आशय यह है कि हमें प्रतिदिन शुद्ध पर्यावरण की दिशा में अपनी सहभागिता ईमानदारी से समर्पित करना होगी तभी हम इस दिवस की महत्ता को प्रतिपादित कर पर्यावरण शुद्धता के साथ निरोगी काया की इबारत लिख पाएंगे।