MP NEWS : आम के पेड़ को सरकार ने दिया ऐतिहासिक दर्जा

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फलों का राजा आम हर किसी को पसंद होता है। गर्मी का सीजन आते ही इसकी विभिन्न वैरायटी बाजारों में बिकने लगती है। अमूमन लोग चौसा, लंगड़ा, भागलपुरिया, हुस्न आरा, अल्फांसो, दशहरा आम आदि खरीदते हैं। जिसकी कीमत आम आदमी के बजट पर ही होती है। हालांकि, आम लवर दुनिया में एक से बढ़कर एक महंगे आम खाने के भी दीवाने होते हैं। सभी आम की अलग-अलग खासियत, स्वाद और मीठापन होता है।

कुछ आम रसीले होते हैं, तो कुछ आम देखने में बेहद खूबसूरत होते हैं। शुरुआती दिनों में लोग कच्चे आम की चटनी बनाकर भी खाते हैं, जो शरीर को लू लगने से बचाती है। दुनिया भर में सबसे अधिक आम की खेती भारत में ही की जाती है।

ऐसे में अगर बात करें दशहरी आम की, तो इसकी बात ही अलग है। इसकी उत्पत्ति कटोरी का एक गांव बताया जाता है। जिसका नाम दशहरी है। इसी गांव से दशहरी आम का इतिहास जुड़ा हुआ है। इतिहासकारों की मानें तो दशहरी गांव में सबसे पहले एक नई प्रजाति के आम के पेड़ लगाए गए थे, जिसमें पहली बार जब फल आया, तो इसका स्वाद सभी लोगों को बहुत पसंद आया। इसके बाद इस आम को दूसरी जगह पर भी भेजा गया, तभी से इसका नाम दशहरी पड़ गया।

200 साल पहले लगाया गया था पेड़
ग्रामीणों का कहना है कि 200 साल पहले एक पेड़ लगाया गया था, उसी के नाम पर इस आम का नाम दशहरी रखा गया। यह पेड़ अभी भी इस गांव में मौजूद है। इसके बारे में बच्चे अपने बुजुर्गों से कहानी सुना करते हैं। बता दें कि इस पेड़ को दूर दराज से लोग देखने के लिए भी आते हैं। केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशी मैंगो लवर भी दशहरी आम के पहले पेड़ को देखने के लिए आते हैं। वह इस पेड़ के साथ फोटो भी खिंचवाते हैं।

मदर ऑफ ट्री
इस पेड़ को मदर ऑफ ट्री भी कहा जाता है, क्योंकि इसी आम के पेड़ के फल की गुठलियों को अन्य जगह रोपा गया। जिसके बाद दशहरी आम की खेती शुरू हो गई। खास बात यह है कि सरकार ने भी सबसे पुराने दशहरे आम के पेड़ को ऐतिहासिक वृक्ष का दर्जा दिया है। यह आम उत्तर भारत का प्रसिद्ध आम है। यह आम खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट और रसीला होता है। बनारस में इसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है। यहां से दूसरे शहरों और देश में इसका निर्यात भी होता है। इसकी मिठास सभी आमों से इसे अलग बनाती है।

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