एक ऐसा हादसा जिसने समूचे देश की आत्मा को हीला गम जदा कर दिया। अहमदाबाद विमान हादसे की खबर जैसे ही देशवासियों के कानों में पड़ी वे गम में डूब गये। 265 से ज्यादा लोग इस हादसे में जान गंवाकर काल के हाथों इस तरह से छले गए कि उनके जले हुए शव की पहचान तक डी एन ए टेस्ट के हवाले हो गई । नियती का यह ऐसा क्रूर प्रहार कहें या हादसा था जिसने मृतकों व उनके परिवार के सपनों को चंद सेकंड में काल का ग्रास बनाकर इस हादसे की इबारत लिख डाली। बच्चे, बुढ़े, जवान सभी को काल ने अपना ग्रास बनाकर परिजनों को आसूओं के सैलाब में डूबो दिया। अपनी खासी विशेषता रखने वाला यह विमान जिस तरह रनवे से उड़ान भरने के बाद हॉस्टल की इमारत से टकराकर चकनाचूर हुआ और उसमें सवार यात्रियों के अलावा हॉस्टल में लंच खा रहे डाक्टरों और छात्रों पर भी काल बनकर गिरा था। याने जो भी इस हादसे की चपेट में आया वह बच नहीं सका। परन्तु इस हादसे ने एक पुरानी किवदंती को तो सार्थक किया कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा है क्योंकि विमान में सवार 242 यात्रियों में एक यात्री विश्वास कुमार ऐसा यात्री है जो जिंदा बचकर मामूली चोट लगकर अस्पताल पहुंचा। याने यह हृदय विदारक हादसा ऐसा गम दे गया है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की अब भले ही कितनी भी छानबीन कर लें वह अलग बात है। मगर जो जिंदगियां काल के क्रूर हाथों छली गई उनके परिजनों के आंसू हम पोछ पायेंगे ? वैसे विधी के विधान को कहते हैं टाला नहीं जा सकता। इसलिए अब हमारे पास मृतकों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके परिवार को शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना के अलावा कोई चारा नहीं है।