नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के 60 से अधिक देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। इससे दुनिया भर में ट्रेड वॉर गहराने और मंदी की आशंका बढ़ गई है। इससे गुरुवार को दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिका में नैसडैक कंपोजिट इंडेक्स में 5.97% गिरावट आई जो मार्च 2020 के बाद इसमें एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। एसएंडपी 500 और डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में भी जून 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट रही। इससे निवेशकों को 2.4 ट्रिलियन डॉलर की चपत लगी। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ट्रंप के टैरिफ पर टिप्प्णी करते हुए कहा था कि उनका यह कदम अमेरिका के लिए आत्मघाती होगा और उनकी बाद सही साबित हो रही है।
ट्रंप के टैरिफ की घोषणा से लगभग हर सेक्टर को नुकसान हुआ। बैंक, रिटेलर, कपड़े, एयरलाइन और टेक्नोलॉजी कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। माना जा रहा है कि अगर टैक्स की वजह से चीजों के दाम बढ़ेंगे तो लोग कम खर्च करेंगे। यूबीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की टैरिफ योजनाओं को अगर लागू किया जाता है तो इससे महंगाई में 5 फीसदी तेजी आएगी और जीडीपी निगेटिव में जा सकती है। कई अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ये टैक्स अनुमान से कहीं ज्यादा खराब हैं। इससे निवेशकों ने उन कंपनियों के शेयर बेच दिए जिनसे नुकसान हो सकता है।
फिच रेटिंग्स के अमेरिका में इकनॉमिक रिसर्च के हेड ओलू सोनोला ने एक रिपोर्ट में कहा कि ये टैरिफ सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव है। इससे कई देशों में मंदी आ सकती है। इसी आशंका से दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। बाजार बंद होने से एक घंटे पहले ही निवेशकों के 2.01 ट्रिलियन डॉलर डूब गए। जानकारों का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ प्लान से अमेरिका की इकॉनमी को भी भारी नुकसान होगा।

