सी एम राइज स्कूल की सौगात लगा रही प्राइवेट स्कूलों की वाट

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नीमच/मनासा (सुभाष व्यास ) शिक्षा को व्यवसाय की भेंट चढ़ाकर शिक्षा जगत के माफियाओं ने शिक्षा को इस कदर महंगाई के हवाले कर दिया है की आम आदमी अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा को लेकर जब इनके द्वार पर जाता है तो यह उसकी जेब काटने से कतई समझौता नहीं करते और अपने स्कूल की भौतिक सुविधाओं का उसे नजारा दिखाकर इस तरह प्रभावित करते हैं कि वह अपने बच्चों के खातिर इन शिक्षा माफियाओं की लच्छेदार बातों में आकर अपनी जेब कटवा लेता है।
सरकारी शिक्षा मंदिरों को लेकर जिस तरह कुछ समय से लोगों की धारणा वहां पढ़ाई नहीं होने संबंधी है। उसके दोषी जहां शिक्षक हैं वहीं प्रशासनिक निगरानी भी है । जिसकी वजह से अपवाद को छोड़ बेलगाम शिक्षकों ने सरकारी विद्या मंदिरों की पढ़ाई को बदनाम करवा दिया । ऐसे में अभिभावक गण अपनी जेब कटवाने के बावजूद बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का रुतबा बताते हुए नजर आते हैं जबकि ज्यादातर इन निजी स्कूलों में शिक्षण कार्य करने वाला स्टॉफ सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की बजाय कम शिक्षित ही पाया जाता है । इन स्कूलों की मनमानी मोटी फीस से ‌लेकर स्कूल ड्रेस, किताबें यहां तक की डायरी, टाई मोज़े पर भी कमीशन का खेल करते हुए यह निजी स्कूल अभिभावकों की बड़ी सहजता से जेब काटते रहते हैं। लुभावनी व्यवस्थाओं का नजारा व भवन की भव्यता दिखाकर
अभिभावकों को अपने चंगुल में फंसाने वाले ये निजी विद्यालय के संचालक शिक्षा के नाम पर तगड़ी कमाई करते नजर आ रहे हैं।
ऐसे में भाजपा सरकार ने शासकीय सी एम राइज स्कूल का जो तोहफा विद्यार्थियों को दिया है नि:संदेह वह सराहनीय। क्योंकि सी एम राइज स्कूलों का उदय होना आम आदमी की धारणा को बदलने लगा है। अभी तक निजी विद्यालयों को शिक्षा का भगवान मानने वाले अभिभावक के अब सी एम राइज स्कूल की शिक्षा हो या व्यवस्था से प्रभावित होकर अपने बच्चों की शिक्षा इन स्कूलों के हवाले करनेे के प्रति उत्सुक दिखाई दे रहा है। तमाम सुविधाओं से संपन्न ये विद्यालय निजी विद्यालयों को पीछे छोड़ते नजर आ रहे हैं। सीएम राइज स्कूल मनासा नीमच में शासन की योजनाओं के अनुरूप स्कूल प्रबंधन अपने बेहतरीन मेनेजमेंट के कारण आम आदमी की जुबान से सराहना बटोर चर्चा रत है। विद्यालय के प्राचार्य से लेकर यहां का स्टाफ अपनी कड़ी मेहनत से स्कूल को संवारने में लगा है। अनुशासन , बेहतरीन शिक्षा, खेलकूद, प्रतियोगी परीक्षाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर बच्चों के सर्व भौमिक मानवीय मूल्यों, संस्कार सभ्यता आदि में अव्वलता से परिचित करवाने लगा है। अंग्रेजी व हिन्दी पाठ्यक्रम में संचालित इस विद्यालय में गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा कर गर्व महसूस कर रहा है। क्योंकि सी एम राइय स्कूल में बेहतर शिक्षा के बावजूद अभिभावक की जेब को कोई खर्चा नहीं उठाना। पड़ता है बल्कि बच्चों को शिक्षण व व्यवस्थाएं, सुविधा निशुल्क उपलब्ध होती है। विद्यालयों ने सी एम राइज स्कूल की व्यवस्था हो या शिक्षण कार्य उसे देखकर अपने विद्यालयों में बच्चों की कमी आते देख सी एम राइज स्कूल की नकल करना शुरू कर दिया है। ताकि उनकी लूट की दुकान चलती रहे।

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