देशभर में आपने कई मंदिरों को देखा होगा, लेकिन मंदसौर जिले के सीतामऊ में प्रदेश का पहला जहाज आकार का जैन मंदिर बनाया गया है। राजस्थान के 20 कारीगरों की देखरेख में इस जहाज मंदिर को 17 साल में तैयार किया गया है। सैकड़ों मजदूरों ने लंबे समय यहां पर कार्य करके इसे जहाज की आकृति दी है। जिसके दर्शन करने के लिए दूर दूर से भक्त पहुंच रहे है। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि जहाज मंदिर को कमल के फूल पर बनाया गया है। मध्यप्रदेश के इस भव्य जहांज मंदिर के दर्शन करने देशभर से धर्मालुजन आ रहे है। आने वाले समय में यह मंदिर जैन तीर्थ के रूप में उभरेगा। मंदसौर जिले के छोटी काशी कही जाने वाली सीतामऊ के ग्राम लदूना रोड पर श्री सिद्धाचल धाम जहाज मंदिर का निर्माण करीब 2008 में प्रारंभ हुआ था। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पारसमल भंडारी, सचिव डॉ. अरविंद जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप बोहरा सहित अन्य ने बताया कि भूमिपूजन के बाद से ही मंदिर के भव्य निर्माण का कार्य शुरू हो गया था। प्रदेशभर में सीतामऊ का यह मंदिर जैन धर्मावलंबियों के लिए तीर्थ स्थल बनकर उभरेगा।
आने वाले धर्मालुजनों के लिए यहां भोजनशाला व धर्मशाला का भी निर्माण करवाया गया है। मुख्य शिखर के अलावा 12 छोटे शिखर मंदिर में हैं। यहां भगवान आदिनाथ जी, पार्श्वनाथ जी के साथ 6 अन्य देव व देवियां विराजित है। जहाज मंदिर की चौड़ाई करीब 36 फीट है। वहीं मंदिर की लंबाई करीब 110 फीट है। जमीन से इसकी उंचाई करीब 80 फीट है। मंदिर में भगवान आदिनाथ व पार्श्वनाथ जी की 41 इंची मूर्ति विराजित है।
मंदिर में यह है खास : मंदसौर जिले के सीतामऊ क्षेत्र में बना जहाज मंदिर राजस्थान के जालौर जिले के बाद दूसरा भव्य मंदिर है। इस मंदिर में विराजित प्रतिमा 3 हजार वर्ष पुरानी है जो करीब 5 वर्ष पहले चंबल नदी से निकली थी। मंदिर में 1 मुख्य व 12 अन्य शिखर बने है। यह जहाज मंदिर कमल की पंखुड़ियों में स्थापित है।