MP NEWS : पाकिस्तान से आए ये लोग वापस नहीं जाएंगे – सरकार देगी नागरिकता

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इंदौर :  सांसद शंकर लालवानी ने पाकिस्तान से भारत आए सिंधी शरणार्थियों के संबंध में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि लंबी अवधि के वीजा (LTV) पर भारत आए सिंधी हिंदू शरणार्थियों को किसी भी स्थिति में वापस नहीं भेजा जाएगा। विशेष बात यह रही कि उन्होंने यह वीडियो पूरी तरह सिंधी भाषा में जारी किया, जिससे संदेश सीधे समुदाय तक उनकी मातृभाषा में पहुंच सके। सांसद लालवानी ने बताया कि इन शरणार्थियों की सुरक्षा और भविष्य केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि नागरिकता प्रक्रिया को सरल बनाकर इन्हें जल्द भारतीय नागरिकता देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सिंधी समुदाय को राहत, भविष्य को लेकर मिला भरोसा : सांसद लालवानी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कई सिंधी शरणार्थी अपने भविष्य को लेकर दुविधा में थे। उनका यह आश्वासन सिंधी समुदाय के लिए राहत भरा माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे लगातार सिंधी समुदाय के अधिकारों की पैरवी कर रहे हैं और सरकार भी इस दिशा में गंभीर है। इस संदेश से उन हजारों सिंधी शरणार्थियों को मानसिक शांति मिली है जो वर्षों से भारत में रह रहे हैं और नागरिकता की प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में 3 हजार सिंधी परिवार, कई दशकों से कर रहे नागरिकता का इंतजार
मध्यप्रदेश में लगभग 3 हजार सिंधी परिवार ऐसे हैं जो पाकिस्तान से शॉर्ट टर्म वीजा पर आए और यहीं बस गए। इनमें से अधिकांश भोपाल और इंदौर में निवास करते हैं। ये परिवार पिछले सात से पच्चीस वर्षों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर रहे हैं। पूज्य सिंधी पंचायत के अनुसार, इन मामलों में देरी के बावजूद केंद्र सरकार ने भोपाल और इंदौर के कलेक्टरों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार दिया है। उल्लेखनीय है कि देशभर में बसे पाकिस्तानी नागरिकों में से करीब 50 फीसदी इंदौर में रहते हैं, जो मुख्यतः सिंध प्रांत, विशेषकर कराची से सटे क्षेत्रों से आए हैं।

डर से भागकर आए, अब भारत में पा रहे अपनापन
इंदौर में रह रहे कई सिंधी शरणार्थियों ने बताया कि पाकिस्तान में लूटपाट और भय का माहौल आम था। भारत में उन्हें शांति और सुरक्षा महसूस होती है। हिंदी भाषा में कठिनाई के कारण ये लोग उर्दू में हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। एक शरणार्थी ने कहा, “उर्दू में हनुमान चालीसा पढ़ने से मन को शांति और ऊर्जा मिलती है।” वे धीरे-धीरे हिंदी सीख रहे हैं और भारतीय समाज में घुलने-मिलने का प्रयास कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लागू होने के बाद इंदौर प्रशासन ने नागरिकता के लिए एक विशेष डेस्क भी स्थापित किया है, जहां शरणार्थियों से पूछा जाता है कि क्या वे पाकिस्तान लौटना चाहते हैं या नहीं, और भारत के संविधान को मानने की शपथ दिलाने के बाद उन्हें नागरिकता दी जाती है।

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